हरोजी की पावन भूमि हरासर गांव : संक्षिप्त परिचय

जोधपुर के संस्थापक राव जोधा के पुत्र राव बिदा ने राजस्थान के जांगलू प्रदेश के एक हिस्से में आधिपत्य कर बिदासर नगर की स्थापना कर अपनी राजधानी बनाया | राव बिदा के प्रतापी पुत्रों में से एक हरोजी हुए जिन्हें आपने पिता की मृत्यु उपरांत पेतृक राज्य से १२ गांवों की ताजिमी जागीर मिली |
हरोजी ने अपनी इन बारह गांवों की जागीर पर सुचारू शासन व्यवस्था चलाने हेतु हरासर नामक गांव की सन-१५४८ में स्थापना कर यहाँ एक किले का निर्माण कराया | हरासर गांव सरदारशहर -अजमेर मेगा हाइवे पर स्थित पड़ीहारा गांव से ६ की.मी की दूरी पर स्थित है | देश के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर धाम सालासर से गांव की दूरी २४ की.मी है
कालांतर में हरोजी के वंशज हरावत बिदावत कहलाये जो हरासर के अलावा रूखासर,घोरडा,अरणवोल्यां,बासी,भानीसर आदि विभिन्न गावों मे आबाद है |६०० घरों व ५०००से ऊपर जनसँख्या से आबाद हरासर में हरावत बिदावातों के लगभग ६० घर है |
गांव में बच्चों की शिक्षा के लिए दो प्राइमरी स्कूल,एक सीनियर सेकंडरी स्कूल, चार प्राइवेट स्कूल उपलब्ध है ,पानी सप्लाई के लिए टंकी ,गांव तक पक्की सड़क आदि सुविधाओं के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए औधालय है |
गांव की धर्मपरायण जनता के लिए धार्मिक पूजापाठ व उपासना के लिए गांव में करणी माता ,कालका माता ,हनुमान जी, लोकदेवता गोगाजी ,हरिरामजी ,झुझार जी व भैरव आदि के मंदिर बने है |
ग्रामीणों का हालाँकि मुख्य व्यवसाय कृषि ही है पर सिर्फ वर्षाजनित खेती ही होने के चलते गांव से युवाओं का शहरों की और पलायन जारी है गांव के काफी संख्या में लोग शहरों में पलायन कर भारतीय सेना व अन्य निजी संस्थानों में कार्यरत है


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ये अनुनाद सिंह कौन है ?

मेरी पहली ब्लॉग पोस्ट

ब्लॉग जगत के दोस्तों बहुत दिनों से ब्लॉग का नाम तो सुन रहा था पर कभी कोई ब्लॉग देखा नहीं था , कंप्यूटर व इन्टरनेट वर्षों से इस्तेमाल कर रहा था पर कभी यह पता नहीं चल सका कि कंप्यूटर पर हिंदी भी लिखी जा सकती है और इन्टरनेट पर हिंदी में ब्लॉग भी होते है |
पिछले कुछ दिनों से मेरे एक पुराने मित्र रतन सिंह जी शेखावत का आजकल मेरे ऑफिस में आना जाना हो रहा है उनसे ही हिंदी ब्लॉग जगत के बारे सुना और जब उन्होंने मुझे अपना ब्लॉग ज्ञान दर्पण दिखाया तो नेट पर हिंदी देखकर ख़ुशी के साथ मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा | और मुझे भी कंप्यूटर पर हिंदी लिखने की उत्सुकता हुई | शेखावत जी ने जब मुझे हिंदी के कुछ शब्द लिखकर दिखाए तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई और अब उनके बताये अनुसार पिछले एक सप्ताह से हिंदी लिखना सिखा और कल शेखावत जी से ये ब्लॉग बनवा कर आज पहली पोस्ट लिख रहा हूँ |
पिछले सप्ताह तक मुझे ब्लोग्स के बारे में कुछ पता ही नहीं था और आज मेरा अपना ब्लॉग बन गया इसे लेकर और हिंदी ब्लॉग जगत में शामिल होकर मै रोमांचित हूँ |
तकनीकी सहायता तो शेखावत जी से मिलती रहेगी पर यदि आप सभी का सहयोग व होसला अफजाई रही तो अपनी व्यस्त कार्यप्रणाली से समय निकालकर लिखता रहूँगा |
धन्यवाद | आप सभी बंधुओं का मेरे इस नए ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है